Monday 31 March 2014

बिरसा मुंडा की तरह हम सभी मार दिये जायेंगे क्योंकि लकड़बग्घा तुम्हारे घर के करीब आ गया है | HASTAKSHEP

खेलों में जो मुक्त बाजार का खेल है, वह आइकोनिक अर्थव्यवस्था की पृष्ठभूमि है। विज्ञापनी सितारे अब चुनाव के सबसे जीतने वाले काबिल उम्मीदवार हैं। यह संकट कितना घनघोर है कि चंडीगढ़ में किरण खेर और गुल पनाग का मुकाबला है तो मेरठ में मोहसिना किदवई के संसदीय विकल्प बतौर प्रस्तुत हैं नगमा। बंगाल में तो सितारे ही चुनाव मैदान में हैं और उनके रोड शो में फैनी तूफान में बायोमेट्रिक डिजिटल नागरिकता निष्णात है।......पूरा पढ़ें


बिरसा मुंडा की तरह हम सभी मार दिये जायेंगे क्योंकि लकड़बग्घा तुम्हारे घर के करीब आ गया है | HASTAKSHEP

Friday 28 March 2014

मोदी को पहले राउण्ड में ही निपटा दिया अध्यक्ष जी ने | HASTAKSHEP

अब तक घोषित उम्मीदवारों में से 23 ऐसे प्रत्याशियों को टिकट दे दिये गये जो अपना दल बदल कर पार्टी में शामिल हुए। यही नहीं कुछ तो ऐसे प्रत्याशी थे जो पिछले लंबे समय से मोदी और पार्टी को हत्यारा तक कहते रहते थे। कार्यकर्ता हैरान थे कि आखिर जो लोग सालों तक भाजपा को कोसते रहे वह 24 घंटे में आखिर टिकट पाने में कैसे कामयाब हो गये?.......Read More on



मोदी को पहले राउण्ड में ही निपटा दिया अध्यक्ष जी ने | HASTAKSHEP

Wednesday 26 March 2014

बनारस : ताकि मोदी भी जीत जाए और मुसलमानों का वोट भी मिल जाए! | HASTAKSHEP

 ‘आप’ भी मुसलमानों का वोट लेकर भाजपा के साथ सरकार बना सकती है। ‘आप’ के एक धर्मनिरपेक्ष नेता प्रशांत भूषण दिल्ली में कांग्रेस के बजाय भाजपा के सहयोग से सरकार बनाने की वकालत कर चुके हैं। साथ ही, मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीएम) को भ्रष्ट बताने का ‘उच्च विचार’ भी उन्होंने व्यक्त किया है। एक अन्य धर्मनिरपेक्ष नेता योगेंद्र यादव ने सीपीएम को अवसरवादी बताते बताते हुए उसके साथ किसी तरह के गठबंधन से इंकार किया है। ......Read More


बनारस : ताकि मोदी भी जीत जाए और मुसलमानों का वोट भी मिल जाए! | HASTAKSHEP

Tuesday 25 March 2014

Promoters of Biometric aadhaar and NPR emerged as killers of privacy unlike heroes like Julian Assange, Edward Snowden and Bradley Manning | HASTAKSHEP

Human body came under assault as a result of forced vasectomy of thousands of men under the notorious family planning initiative of Sanjay Gandhi. Nilekani and his ilk have acted worse than Sanjay Gandhi in putting Indians’ body under the assault of biometric surveillance........Read MorePromoters of Biometric aadhaar and NPR emerged as killers of privacy unlike heroes like Julian Assange, Edward Snowden and Bradley Manning | HASTAKSHEP

Monday 3 March 2014

सत्ता का चुंबन बेहद आत्मघाती होता है।

दो दलीय अमेरिका परस्त कॉरपोरेट बंदोबस्त अस्मिताओं का महाश्मशान!

जिनके प्राण भँवर ईवीएममध्ये बसै, उनन से काहे को बदलाव की आस कीजै?

परिवार, निजी सम्बंधों, समाज, राजनीति और राष्ट्रव्यवस्था में सारा कुछ एकपक्षीय है सांस्कृतिक विविधता और वैचित्र्य के बावजूद। हम चरित्र से मूर्ति पूजक बुतपरस्त लोग हैं। हम राजनीति करते हैं तो दूल्हे के आगे पीछे बंदर करतब करते रहते हैं। साहित्य, कला और संस्कृति में सोंदर्यबोध का निर्मायक तत्व व्यक्तिवाद है, वंशवाद है, नस्लवाद है, जाति वर्चस्व है। हमारा इतिहास बोध व्यक्ति केंद्रित सन तारीख सीमाबद्ध है।
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लोकतंत्र के नाम पर लोकतंत्र का छद्म ही जी रहे हैं हम

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Wednesday 26 February 2014

वे बहुजन कारोबारी हैं।

मुद्दा जाति उन्मूलन का है, सत्ता में भागेदारी नहीं।

तमाम बहुजन चिन्तक और मसीहा कॉरपोरेट राज में बुराई नहीं देखते और इस आक्रामक ग्लोबीकरण को बहुजनों के लिये स्वर्णकाल मानते हैं।
कांशीराम जी ने जो सत्ता की चाबी ईजाद कर ली है, उसके बाद से निरंतर अंबेडकर हाशिये पर जाते रहे हैं और उनके जाति उन्मूलन के एजेण्डा अता पता नहीं है। सोशल इंजीनियरिंग की चुनावी राजनीति, अस्मिता और पहचान को पूँजी बनाकर पार्टीबद्ध राजनीति कॉरपोरेट राज का पर्याय बन गयी है।
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चिरकुट प्रजाति के बहुजन कारोबारी

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एनआईए की आपराधिक साजिश है मिर्जापुर से आतंकवाद के नाम पर की गयी गिरफ्तारी- रिहाई मंच

खुफिया एजेंसियां और एनआईए इस भ्रम में आ गयी हैं कि मोदी प्रधानमंत्री बनने वाले हैं, इसलिये जो काम कल तक राजेन्द्र कुमार कर रहे थे वही काम अब आईबी करने लगी है।- रिहाई मंच
पूरी खबर पढ़ें नीचे लिंक पर

एनआईए, आईबी और संघ परिवार मिलकर तैयार कर रहे हैं मोदी का वोट बैंक- रिहाई मंच

http://www.hastakshep.com/hindi-news/from-states/uttar-pradesh/2014/02/24/%E0%A4%8F%E0%A4%A8%E0%A4%86%E0%A4%88%E0%A4%8F-%E0%A4%86%E0%A4%88%E0%A4%AC%E0%A5%80-%E0%A4%94%E0%A4%B0-%E0%A4%B8%E0%A4%82%E0%A4%98-%E0%A4%AA%E0%A4%B0%E0%A4%BF%E0%A4%B5%E0%A4%BE%E0%A4%B0-%E0%A4%AE

राष्ट्रवादी (!) संघ परिवार के प्रधानमंत्रित्व का चेहरा इतना राष्ट्रद्रोही !

संघ परिवार ने अपने लौह पुरुष लाल कृष्ण आडवाणी, देश की इस वक्त की शायद सबसे बेहतरीन वक्ता सुषमा स्वराज, तीक्ष्ण दिमाग अरुण जेटली जैसे दिग्गजों को ठुकराकर नरेंद्र मोदी की तर्ज पर जिस अदूरदर्शी व्यक्ति को भारत के भावी प्रधानमंत्री बतौर पेश किया है, वह देश की राष्ट्रीय सुरक्षा और आंतरिक सुरक्षा के संवेदनशील मुद्दों में ऐसे उलझ रहा है, जिसकी मिसाल नहीं है।
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राष्ट्रवादी (!) संघ परिवार के प्रधानमंत्रित्व का चेहरा इतना राष्ट्रद्रोही !


http://www.hastakshep.com/intervention-hastakshep/%E0%A4%B8%E0%A4%82%E0%A4%B5%E0%A4%BE%E0%A4%A6/2014/02/25/how-traitor-modi

Sunday 26 January 2014

कॉरपरेट जगत का पैसा और हाशिये की वकालत एक साथ तो नहीं हो सकती | HASTAKSHEP

आदिवासी समाज अपने परम्परागत अधिकारों एवम जल, जंगल और जमीन की अभिरक्षा के
लिये डंके की चोट पर सत्तासीन सम्प्रभु वर्ग को चुनौतियाँ दे रहा है। उनकी
ओर से एक अविराम संघर्ष जारी है, निश्चित रूप से ये हाशिए की आवाज है जो
अलग अलग स्थानों पर बिखरा हुआ है। कहीं इसकी गति तेज है, तो कहीं अन्दर-
अन्दर सुलग रहा है, आज जरूरत इनको एक मंच प्रदान करने की है और तीसरे
मोर्चे के कद्रदान इनकी आवाज नहीं बन सकते.... Read More

कॉरपरेट जगत का पैसा और हाशिये की वकालत एक साथ तो नहीं हो सकती | HASTAKSHEP

Saturday 25 January 2014

सिद्धान्तहीन राजनीति और नकारात्मक आलोचनाओं का गणतंत्र ! | HASTAKSHEP

यह सदैव याद रखा जाना चाहिए कि पाकिस्तान की फौजी तख्ता पलट की तरह कांग्रेस सत्ता में कभी नहीं आई। जनता ने बार-बार चुना, यह जनादेश का अपमान ही होगा कि चुनी हुयी सरकारों को सिर्फ इसलिये गाली दी जाये कि काश हम सत्ता में क्यों न हुये‘?

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सिद्धान्तहीन राजनीति और नकारात्मक आलोचनाओं का गणतंत्र ! | HASTAKSHEP

Thursday 23 January 2014

सांस्कृतिक आतंकवाद का नया चेहरा “आप” | HASTAKSHEP

अगर अंतर्राष्ट्रीय सम्बंधों की बात एकबारगी न भी की जाए तो सोमनाथ भारती को भारत के संविधान के किस अनुच्छेद के तहत कानून अपने हाथ में लेने का अधिकार मिल गया ? भारती यह भूल गए कि वे दिल्ली सरकार के कानून मंत्री है, पुलिस कमिश्नर नहीं। आखिर उन्हें अपनी हैसियत तो बतानी ही चाहिए कि किस हैसियत से वह पुलिस को हुक्म दे रहे थे और विदेशी छात्राओं को बंधक बना रहे थे। भारती की हरकत हर दृष्टि से अपराध ही है। बेहतर तो यही होगा कि केजरीवाल स्वयं उन्हें अपने मंत्रिमंडल से बर्खास्त कर समूचे राष्ट्र से, विदेशी छात्राओं से बिना शर्त माफी माँगें। लेकिन केजरीवाल तो सियासी टोने-टोटकों में परंपरागत राजनीतिक दलों से बहुत आगे निकल गए।

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सांस्कृतिक आतंकवाद का नया चेहरा “आप” | HASTAKSHEP

Sunday 19 January 2014

क्या थम जाएंगी अब किसानों की आत्महत्याएं | HASTAKSHEP

यह छिपी बात नहीं है कि गांव से लेकर शहरों तक अवैध साहूकारी सिर्फ इसलिए फल-फूल रही है, क्योंकि इसके सिर पर हमेशा राजनीतिक हाथ रहा है। बल्कि राजनीतिक लोग खुद यही काम करते रहे हैं। कुछ साल पहले विदर्भ के विधायक दिलीप सानंदा के पिता के खिलाफ भी साहूकारी के आरोप लगे थे और मामले को दबाने की कोशिश करने का आरोप तत्कालीन मुख्यमंत्री विलासराव देशमुख पर आया था। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार पर दस लाख का जुर्माना भी लगाया था। Read Morte on hastakshep.com

क्या थम जाएंगी अब किसानों की आत्महत्याएं | HASTAKSHEP

Saturday 18 January 2014

गुरू गोलवलकर को त्याग दिया मोदी ने | HASTAKSHEP

 गुरू जी तो हमारे संविधान की प्रासंगिकता पर भी प्रश्नचिन्ह लगाया है। उन्होंने स्पष्ट किया कि आरएसएस, भारत के संघीय ढाँचे के विरूद्ध है। उनकी किताब ‘बंच ऑफ थाट्स’या विचार नवनीतमें पूरा एक अध्याय है जिसका शीर्षक ही है “एकात्मक शासन की अनिवार्यता” Read More on
गुरू गोलवलकर को त्याग दिया मोदी ने | HASTAKSHEP

Friday 10 January 2014

बदलनी होगी महिलाओं के प्रति सोच

समाज में अन्याय, अत्याचार बढ़ा है। इसमें सभी शामिल हैं। चाहे फिर वे कानून बनाने वाले हों, उसका पालन करने वाले या उसका शिकार बनने वाले आम लोग। जाहिर है कि यह प्रवृत्ति किसी भी समाज के लिये घातक है। लड़कियों के मामले में तो जब तक निर्भया जैसी कोई घटना न हो, लोग घरों से बाहर निकल ही नहीं पाते.... Read More on 

बदलनी होगी महिलाओं के प्रति सोच

Wednesday 1 January 2014

एक सफ़दर- अनेक सफ़दर- हरेक सफ़दर

एक सफ़दर- अनेक सफ़दर- हरेक सफ़दर

सफ़दर हाशमी- शहादत के पच्चीस बरस; “मजदूर वर्ग और संस्कृति”

सांस्कृतिक वर्चस्व का हमला और तीखा और सर्वग्रासी हुआ है वैश्वीकरण के इस दौर में


सांस्कृतिक अभिव्यक्ति वर्ग संघर्ष में एक क्षमतावान, कारगर व मारक जरिया है। यह अगर शासक वर्गों के लिये खतरनाक नहीं होता तो वे सफदर हाशमी को नहीं मारते। एम.एफ.हुसैन की गैलरी पर तोड़-फोड़ नहीं करते, वली दकनी की मजार को जमीदोंज नहीं करते, ईराक में बगदाद की हजारों साल पुरानी लाइब्रेरी से लेकर मुम्बई की भण्डारकर लाइब्रेरी तक को आग नहीं लगाते, बुद्ध के स्तूपों और ग्रन्थों के पीछे लाठी फावड़े लेकर नहीं दौड़ते।

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