Sunday 26 January 2014

कॉरपरेट जगत का पैसा और हाशिये की वकालत एक साथ तो नहीं हो सकती | HASTAKSHEP

आदिवासी समाज अपने परम्परागत अधिकारों एवम जल, जंगल और जमीन की अभिरक्षा के
लिये डंके की चोट पर सत्तासीन सम्प्रभु वर्ग को चुनौतियाँ दे रहा है। उनकी
ओर से एक अविराम संघर्ष जारी है, निश्चित रूप से ये हाशिए की आवाज है जो
अलग अलग स्थानों पर बिखरा हुआ है। कहीं इसकी गति तेज है, तो कहीं अन्दर-
अन्दर सुलग रहा है, आज जरूरत इनको एक मंच प्रदान करने की है और तीसरे
मोर्चे के कद्रदान इनकी आवाज नहीं बन सकते.... Read More

कॉरपरेट जगत का पैसा और हाशिये की वकालत एक साथ तो नहीं हो सकती | HASTAKSHEP

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