केजरीवाल को अपना मुख्य प्रतिद्वंद्वी बताओ और भाजपा विरोधी मतों को और बाँट दो… और केजरीवाल के कंधों पर मोदी का दिल्ली फतह।
......
वैसे भी केजरीवाल का मोदी से कोई बैर कभी रहा ही नहीं और न उन्होंने कभी कहा कि वे मोदी को रोकेंगे, ऐसा वे आज भी नहीं कह रहे हैं भले ही मीडिया कह रहा हो। 2002 के गुजरात जनसंहार की आज तक उन्होंने न कभी भर्त्सना की और न कभी 2002 पीड़ितों के समर्थन में कहीं दिखाई दिए।....
तो मोदी जी का राजतिलक कराएंगे श्रीयुत् केजरीवाल !
Tuesday 31 December 2013
सुशासन का मुखौटा ओढ़े आतंक-राज
आपका बिहार में स्वागत है!
प्रतिदिन के औसतन 10 हत्याएं बिहार में हो रही हैं
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सुशासन का मुखौटा ओढ़े आतंक-राज
Sunday 29 December 2013
बहुरूपिये मजमेबाजों का जीवन कभी भी लम्बा नहीं रहा राजनीति
ये हजारों आदर्शवादी नौजवानों को छल रहे हैं। ये उस मेहनतकश आबादी को छल रहे हैं जो कांग्रेस-भाजपा इत्यादि को बखूबी पहचानती है। वे ऐसा इसलिए कर रहे हैं कि पतित पूँजीवादी व्यवस्था के जीवन को लम्बा खींचा जा सके।...Read More
बहुरूपिये मजमेबाजों का जीवन कभी भी लम्बा नहीं रहा राजनीति
सरकारों का एनजीओकरण
नागरिक समाज में जो सीधे कारपोरेट
पूंजीवाद के समर्थक हैं उनका कारपोरेट राजनीति के साथ होना स्वाभाविक है।
लेकिन अपने को राजनीतिक समझ से लैस मानने वाले परिवर्तन की राजनीति के
पक्षधर बुद्धिजीवी और राजनीतिक-सामाजिक नेता-कार्यकर्ता भी ‘आप’ को विकल्प मान रहे हैं।
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सरकारों का एनजीओकरण
Wednesday 25 December 2013
नरेंद्र मोदी से ज्यादा खतरनाक साबित होंगे केजरीवाल
नरेंद्र मोदी से ज्यादा खतरनाक साबित होंगे केजरीवाल
अब हालत यह है कि धर्मनिरपेक्षता बनाम
स्त्री विमर्श का गृहयुद्ध लगातार तेज होता जा रहा है। रोज नये मोर्चे खुल
रहे हैं। जमकर सभी पक्षों से गोलंदाजी हो रही है। लेकिन कॉरपोरेट
धर्मोन्मादी सैन्य राष्ट्रवाद के मुकाबले कोई मोर्चा बन ही नहीं रहा है। हम
दरअसल किसका हित साध रहे हैं, यह समझने को भी कोई तैयार नहीं है।
यह भय और आतंक इस लोकतांत्रिक बंदोबस्त के लिये सबसे ज्यादा खतरनाक है।Read More on
http://www.hastakshep.com/intervention-hastakshep/views/2013/12/25/%E0%A4%A8%E0%A4%B0%E0%A5%87%E0%A4%82%E0%A4%A6%E0%A5%8D%E0%A4%B0-%E0%A4%AE%E0%A5%8B%E0%A4%A6%E0%A5%80-%E0%A4%B8%E0%A5%87-%E0%A4%9C%E0%A5%8D%E0%A4%AF%E0%A4%BE%E0%A4%A6%E0%A4%BE-%E0%A4%96%E0%A4%A4
Wednesday 4 December 2013
और भी गम हैं जमाने में- यौन-विमर्श के सिवाय !!!
किसी तथाकथित विक्टिम या यौन पीड़िता के पक्ष में और किसी खास तथाकथित रेपिस्ट के विरोध में नेताओं की बयानबाजी भी राजनैतिक प्रतिबद्धता के अनुरूप हो रही है। उनके लिये यह ‘यौन-विमर्श‘ भी राजनैतिक रूप से फायदेमंद हो सकता है किन्तु देश और समाज का कुछ भी भला नहीं कर सकता !......Read More on
और भी गम हैं जमाने में- यौन-विमर्श के सिवाय !!!
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