नागरिक समाज में जो सीधे कारपोरेट
पूंजीवाद के समर्थक हैं उनका कारपोरेट राजनीति के साथ होना स्वाभाविक है।
लेकिन अपने को राजनीतिक समझ से लैस मानने वाले परिवर्तन की राजनीति के
पक्षधर बुद्धिजीवी और राजनीतिक-सामाजिक नेता-कार्यकर्ता भी ‘आप’ को विकल्प मान रहे हैं।
Read More on
Read More on