Wednesday, 26 February 2014

वे बहुजन कारोबारी हैं।

मुद्दा जाति उन्मूलन का है, सत्ता में भागेदारी नहीं।

तमाम बहुजन चिन्तक और मसीहा कॉरपोरेट राज में बुराई नहीं देखते और इस आक्रामक ग्लोबीकरण को बहुजनों के लिये स्वर्णकाल मानते हैं।
कांशीराम जी ने जो सत्ता की चाबी ईजाद कर ली है, उसके बाद से निरंतर अंबेडकर हाशिये पर जाते रहे हैं और उनके जाति उन्मूलन के एजेण्डा अता पता नहीं है। सोशल इंजीनियरिंग की चुनावी राजनीति, अस्मिता और पहचान को पूँजी बनाकर पार्टीबद्ध राजनीति कॉरपोरेट राज का पर्याय बन गयी है।
Read full article on the link given below

चिरकुट प्रजाति के बहुजन कारोबारी

http://www.hastakshep.com/intervention-hastakshep/%E0%A4%B8%E0%A4%82%E0%A4%B5%E0%A4%BE%E0%A4%A6/2014/02/24/%E0%A4%9A%E0%A4%BF%E0%A4%B0%E0%A4%95%E0%A5%81%E0%A4%9F-%E0%A4%AA%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A4%9C%E0%A4%BE%E0%A4%A4%E0%A4%BF-%E0%A4%95%E0%A5%87-%E0%A4%AC%E0%A4%B9%E0%A5%81%E0%A4%9C%E0%A4%A8-%E0%A4%95 

No comments:

Post a Comment

उनकी खबरें जो खबर नहीं बनते।
राजनैतिक, आर्थिक, सांस्कृतिक मुद्दों और आम आदमी के सवालों पर सार्थक *हस्तक्षेप* के लिये देखें हिंदी समाचार पोर्टल
http://hastakshep.com/



http://www.facebook.com/amalendu.a

https://www.facebook.com/hastakshephastakshep

https://plus.google.com/u/0/b/106483938920875310181/